Hyundai Venue | भारत में इलेक्ट्रिक कारों के प्रति रुझान को देखते हुए कई मास मार्केट कारें माइलेज फ्रेंडली माइल्ड हाइब्रिड वर्जन में बाजार में आने लगी हैं। हुंडई मोटर्स 2020 i20 के यूरोपियन वर्जन में 48 वोल्ट माइल्ड हाइब्रिड तकनीक भी देने जा रही है और माना जा रहा है कि यह वर्जन भारत में भी लॉन्च किया जा सकता है।
जैसे ही यह तकनीक भारत आएगी, इसे अन्य कारों में भी पेश किया जाएगा। इनमें कॉम्पैक्ट एसयूवी हुंडई वेन्यू भी शामिल है। माइल्ड हाइब्रिड तकनीक में हल्के टॉर्क सहायता के लिए एक एकीकृत स्टार्टर जनरेटर के साथ स्वचालित निष्क्रिय इंजन स्टार्ट/स्टॉप की सुविधा है। स्टैंडर्ड बैटरी के अलावा इसमें एक छोटा लिथियम आयन बैटरी पैक भी दिया गया है।
2020 i20 में 1.0 लीटर, T-GDI 3-सिलेंडर टर्बोचार्ज्ड पेट्रोल इंजन है जो 48-वोल्ट माइल्ड हाइब्रिड तकनीक से लैस है। कंपनी का कहना है कि इस तकनीक से कार का माइलेज 3 से 4 फीसदी तक बढ़ जाएगा। इस 1.0 लीटर इंजन को पहली बार भारत में पिछले साल Hyundai Venue के साथ पेश किया गया था। अगर हुंडई मोटर्स भारत में माइल्ड हाइब्रिड तकनीक लाती है तो इसका इस्तेमाल केवल वेन्यू के 1.0 लीटर इंजन में किया जाएगा।
1.0 लीटर इंजन हुंडई ऑरा और ग्रैंड आई10 निओस में भी दिया गया है। हालाँकि, इन कारों में यह इंजन केवल 100 पीएस की कम पावर ट्यूनिंग में उपलब्ध है, जबकि वेन्यू में यह इंजन 120 पीएस की पावर जेनरेट करता है। आपको बता दें कि i20 का यूरोपियन मॉडल 100 पीएस और 120 पीएस वर्जन में उपलब्ध है।
माइल्ड हाइब्रिड तकनीक के बिना 1.0 लीटर इंजन वाली Hyundai Aura 20.5 किमी/लीटर का माइलेज देने में सक्षम है। वहीं वेन्यू का माइलेज 18.15 किमी/लीटर (मैनुअल वर्जन) और 18.27 किमी/लीटर (DCT वर्जन) है। अगर इन कारों में इस इंजन के साथ 48 वोल्ट माइल्ड हाइब्रिड तकनीक दी जाए तो माइलेज के ये आंकड़े कुछ हद तक बढ़ सकते हैं। आपको बता दें कि नई i20 के माइल्ड हाइब्रिड वर्जन में आइडल इंजन ऑटो स्टार्ट/स्टॉप का फीचर स्टैंडर्ड दिया गया है।
इस तकनीक के जरिए हुंडई मोटर्स की कारें मारुति की मौजूदा माइल्ड हाइब्रिड तकनीक से लैस कारों को कड़ी टक्कर दे सकती हैं। आपको बता दें कि हुंडई वेन्यू की तुलना में मारुति विटारा ब्रेज़ा एकमात्र ऐसी कार है जो माइल्ड हाइब्रिड वर्जन में उपलब्ध है। आने वाले समय में कॉरपोरेट एवरेज फ्यूल इकोनॉमी (CAFE) के आने से भारत में कारों के माइलेज से जुड़े नियम और भी सख्त होने वाले हैं। ऐसे में कार निर्माताओं को अपने उत्पाद पोर्टफोलियो में कारों के माइलेज को बेहतर बनाने की दिशा में काम करना होगा। इसलिए कई कंपनियां माइल्ड हाइब्रिड जैसी तकनीक का इस्तेमाल करने पर विचार कर रही हैं।